अंडर टेबल हैं तो क्या हुआ आचार नहीं पर विचार हैं,
ना ब्रह्मस्त्र, ना परमाणु पर हम से बड़ा न कोई हथियार है
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो,
जो डर-डर कर आँख के पीछे लेता, वही तो भर्ष्टाचार हैं ................
पाताल हो या आकाश, कण कण में है मेरा वास
कोयल हो या रेल, भैया सब हैं मेरा खेल ,
२जी हो ३जी, सब हैं मेरे सामने फेल,
मंत्री हो संत्री मेरे बिना नहीं हैं किसीसे मेल
अवैद्द हैं तो क्या हुआ पर शिष्टचार हैं
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो………….
मुंबई हो या दिल्ली मेरे बिना सब हैं धिल्ली
घुमाओ मेरी अगरबत्ती , उडाओ ना मेरी खिल्ली,
पैकेट गरम हुआ समझ लो बाबु नरम हुआ
तब जाकर आपका बेरा पार है ………….
मस्जिद जाओ या मंदिर, ना मिलेगा खुदा, ना मिलेगा राम
बिना दक्षिणा का नहीं होता कोई काम
नाजायज हूँ पर सब मेरा हैं उपकार
इसलिए तो राजा, प्रजा दोनों को हमसे प्यार हैं
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो,
जो डर-डर कर आँख के पीछे लेता, वही तो भर्ष्टाचार हैं ................
ना ब्रह्मस्त्र, ना परमाणु पर हम से बड़ा न कोई हथियार है
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो,
जो डर-डर कर आँख के पीछे लेता, वही तो भर्ष्टाचार हैं ................
पाताल हो या आकाश, कण कण में है मेरा वास
कोयल हो या रेल, भैया सब हैं मेरा खेल ,
२जी हो ३जी, सब हैं मेरे सामने फेल,
मंत्री हो संत्री मेरे बिना नहीं हैं किसीसे मेल
अवैद्द हैं तो क्या हुआ पर शिष्टचार हैं
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो………….
मुंबई हो या दिल्ली मेरे बिना सब हैं धिल्ली
घुमाओ मेरी अगरबत्ती , उडाओ ना मेरी खिल्ली,
पैकेट गरम हुआ समझ लो बाबु नरम हुआ
तब जाकर आपका बेरा पार है ………….
मस्जिद जाओ या मंदिर, ना मिलेगा खुदा, ना मिलेगा राम
बिना दक्षिणा का नहीं होता कोई काम
नाजायज हूँ पर सब मेरा हैं उपकार
इसलिए तो राजा, प्रजा दोनों को हमसे प्यार हैं
अरे भाई साहेब नहीं समझे आप तो समझ लो,
जो डर-डर कर आँख के पीछे लेता, वही तो भर्ष्टाचार हैं ................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें