जरा सोचिये:-
इस देश में अपने राजनितिक हित साधने के लिए राजनेता कोई भी हद पार कर सकते हैं, कल तक लोग AAP से काफी उम्मीद कर रहे थे पर श्री अरविन्द केजरीवाल जैसे ही तौफ़ीक़ रजा साहेब से बरेली में मुलाकात किया सबके उम्मीदो पर पानी फिर गया। शायद इनका अहसास केजरीवाल साहेब को भी होगा चुनाव के बाद क्यूंकि उनके सारी दावे धरे के धरे रह जांयगे और जो भी सर्वे का रुझान आज उन्होंने दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी होने का तगमा दे रहा हो पर यह यथार्थ होना अभी बाकि हैं। तोफिक रजा ऐसा शख्श हैं जिन्होंने समय -समय पर अपने बयान और हरकतें से सामाजिक सदभाव बिगारने का कोशिश किये हैं पर चाहे कांग्रेस हो या सपा इनको उनसे थोड़ी भी परहेज नहीं हैं और अब केजरीवाल साहेब भी उन्ही के पगडण्डी पर चल परे, जो उनके सभी दावों को झुठलता हैं, और उनकि पार्टी को भी इन्ही पार्टी के कतार में लाकर खड़ा कर देता हैं। जरा सोचिये कि चाहे कितना भी ईमानदार व्यक्ति क्यों ना हो पर जैसे ही राजनीती में सक्रिय होता हैं वे अपने सभी उसूळो से समझोता करना शुरू कर देता हैं और समय के साथ वे भी उसी रंग में रंग जाते हैं जिस रंग में तमाम राजनितिक पार्टी के लोग रंगे हैं.………………………!!!
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