कितनो को टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !
धरना को भर्ना लगाकर, लो आ गए भ्रष्टाचार के काल !
कितनो को टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !
वानारस से दिल्ली गूंज रहे, थोक रहे है तलबे पर ताल !
खाँसी तो मुफ्त के पानी में थी, अब तो सब है खुशहाल !
भाग गए मैंगो मैन, दरअसल में अम्बानी हुआ मालामाल !
चांटे खा कर गाल भी फुला,क्यूँ न दिखा मीडिया में बबाल !
मीडिया को जेल में डालेंगे ही,क्यूंकि इसी ने कर रखा है बुराहाल !
जुझारू का जरुरत नहीं, झाड़ू लगावाओ वर्ना पार्टी से निकाल !
भ्रष्टाचार तो बस बहाना था, सम्प्रदायिकता का देखो कमाल !
दिल्ली तो छोटी पर गई, यूपी बिहार पर नज़र है फिलहाल !
शाशन में आसान नहीं , छोड़ो दिल्ली है वाकये में कंगाल !
कांग्रेस तो है खेत की मूली, पर मोदी का खीच लेना है खाल !
बदहज़मी ही तो हुई,२० हजार के थाली में कच्ची रह गयी दाल !
बिका हुआ टिकेट वापस नहीं होगा , जो करना है कर ही डाल !
सबके है अपने-अपने सपने , जनता का आखिर क्यूँ करे ख्याल !
फिर मिलोगे या भाग जाओगे, आपसे करना है बस एक सवाल !
कितनो को टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !
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