शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014




 कितनो को टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !


धरना को भर्ना लगाकर, लो आ गए भ्रष्टाचार के काल !

कितनो को टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !

वानारस से दिल्ली गूंज रहे, थोक रहे है तलबे पर ताल !

 खाँसी तो मुफ्त के पानी में थी, अब तो सब है खुशहाल !

भाग गए मैंगो मैन, दरअसल में अम्बानी हुआ मालामाल !

चांटे खा कर गाल भी फुला,क्यूँ न दिखा मीडिया में  बबाल !

मीडिया को जेल में डालेंगे ही,क्यूंकि इसी ने कर रखा है बुराहाल !

जुझारू  का जरुरत नहीं, झाड़ू लगावाओ वर्ना पार्टी से निकाल !

भ्रष्टाचार तो बस बहाना था, सम्प्रदायिकता का देखो कमाल !

दिल्ली तो छोटी पर गई, यूपी बिहार पर नज़र है फिलहाल !

शाशन में आसान नहीं , छोड़ो दिल्ली है वाकये  में कंगाल !

कांग्रेस तो है खेत की मूली, पर मोदी का खीच लेना है खाल !

बदहज़मी ही तो हुई,२० हजार के थाली में कच्ची रह गयी दाल !

बिका हुआ टिकेट वापस नहीं होगा , जो करना है कर ही डाल !

सबके है अपने-अपने सपने , जनता का आखिर क्यूँ करे ख्याल !

फिर मिलोगे या भाग जाओगे, आपसे करना है बस एक सवाल !

 कितनो को  टोपी पहनाकर, फिर आ गए केजरीवाल !










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