रावन एक परिकल्पना हैं जो हमें आगाह करता हैं कि पाप का अंत, रावन एक यथार्थ हैं जो हमें आगाह करता हैं कि इन्सान चाहे कितना भी बड़ा क्यूँ ना हो जाय इंसानियत को भूलेगा तो अंत निश्चित हैं। इस लिए इस परिकल्पना को यथार्थ कभी बनने ना दे और अपने अंडर इंसानियत को हमेशा जीवित रखे और उस कल्पना को जला कर राख करदे जो हो कल रावन का शक्कल लेनेवाला हैं। ध्यनबाद, शुभ द्सहेरा!!!
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