शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

जरा सोचिएं :-
यदि कोई समर्थबान है तो क्या वे कानून से बड़े हैं, क्या  देश में सभीके लिए अलग अलग कानून हैं?
जी हं, आदित्य बिड़ला को यदि कोयला घोटाला में नाम आता हैं उनके बचाने के लिए उद्योग के बड़े -बड़े संस्थान सामने आ कर खड़े हो जाते हैं। यदि नविन जिंदल के ऊपर आरोप लगते हैं तो पूरी कांग्रेस पार्टी उनके समर्थन में  ना आ जाते ब्लिक हर सभी उपाय करते हैं ताकि वे निर्दोष साबित हो।  संजय दत्त को परोल पर छोड़ दिया जाता और पूरा तन्त्र उनका  सजा माफ़ करने के लिए जुट जाता हैं और वे घर में आराम फ़रमा रहे हैं। यदि इनके जगह कोई आम आदमी होता तो उनके साथ भी ऐसा ही होता, जरा सोचिएं  …!!!!

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