अरे भैया, पार्टी के दफ्तर में प्याज का दुकान,
इलेक्शन से पहले यह कैसी झूठी मुस्कान
चावल महंगी, दाल मंहगी, ना दिखे सस्ती कोई आनाज
खानों को रोटी नहीं, क्या करंगे लेकर प्याज
जनाब, मिला दिया कितनो को खाक में और कितने को दिया हैं सर -ए -ताज
अच्छे अच्छे को ना छोड़ा हैं, सबको को रुलाया हैं, समझो ना इनको मामूली प्याज
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