ये कैसा जनतंत्र हैं जंहा जन का कंही वास नहीं,
इन चोरों और बेईमानो पर अब जन का विश्वास नहीं
कैसा हैं संताप इस तंत्र में ईमानदारी किसीको रास नहीं
कहता हैं इतिहास हमारा मिट जायेगा वे, इसका उसे अहसास नहीं
इन चोरों और बेईमानो पर अब जन का विश्वास नहीं
कैसा हैं संताप इस तंत्र में ईमानदारी किसीको रास नहीं
कहता हैं इतिहास हमारा मिट जायेगा वे, इसका उसे अहसास नहीं
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