मंगलवार, 6 अगस्त 2013

ये कैसा जनतंत्र हैं जंहा जन का कंही  वास नहीं,
इन चोरों और बेईमानो पर अब जन का  विश्वास नहीं
कैसा हैं संताप इस तंत्र में ईमानदारी किसीको  रास नहीं
कहता  हैं इतिहास हमारा  मिट जायेगा वे, इसका उसे अहसास नहीं

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