रविवार, 22 सितंबर 2013

तेरे होठों के पंखुरी से फिर गुलाब खिल गया
देखा जो तेरे चिलमन एक अजब सा खुमार हो गया
पता नहीं क्यूँ कसमकस जीने लगा हूँ मैं
पर हाल में ही दिल यह ने जाना कि प्यार हो गया

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