रविवार, 8 सितंबर 2013


 गुलामी में ही थे महफूज, आज़ादी ने तो हताश दिया
इन आदमखोर से बच  निकलना , अब आशान नहीं
कानून तो इनके मर्जी  में हैं, क्या  ये जंगल राज नहीं
उनका भी आशियाँ हैं हमारे शहर पर  वे इंशान नहीं



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