गुरुवार, 26 दिसंबर 2013


ये  भी बताओ   कि विधान सभा जाओगे या रामलीला मैदान में विधान सभा लगाओगे?'

देखिये कल दिल्ली के गद्दी पर आम आदमी के दुखचिन्तक और आम आदमी के अधिकार के प्रति कटिबद्ध  श्री श्री १०८ महा मोहोपध्याय मानिये अरविन्द कजरीवाल विराजमान होंगे अन्तः आप लोंगो से अनुरोध है कि झाड़ू सहित पधारे रामलीला ग्राउंड में। अरविन्द कजरीवाल हाथ जोड़कर अभिनंद ले रहे थे तभी  एक पुलिस के आला अधिकारी  आकर कहते हैं " केजरीवाल साहब, आप  को सुरक्षा की  जरुरत है देखिये मना नहीं कीजिये क्यूंकि आपकी सुरक्षा कि गारंटी अब हमारी हैं, भगवन न करे कुछ ऐसा -वेसा हो गया तो मेरी   ……  ''

"आपको  परेशां होने की जरुरत नहीं हैं जब जरुरत होगी लेलुंगा, मुख्यमंत्री बनने को मैंने कब सोचा था पर आज बनने जा रहा हूँ इसी तरह जरुरत होगा तो सुरक्षा और बंगला भी लेलूंगा।"  अचानक एक औरत की आवाज केजरीवाल के कानो  को छूती  हैं जेसे ही आवाज की तरफ घूम कर देखते हैं तो नजारा देखकर हैरान रह जाते हैं।  देखते हैं कि एक औरत अपनी पत्ति को झाड़ू से पीट रही है और बेचारा पत्ति भाग रहे हैं।

"जब से झाड़ू पार्टी क्या जीती ये झाड़ू को लेकर सिरहाना में रख दिया और हमेशा कहता है कि अब झाड़ू से घर में झाड़ू नहीं लगेगी सिर्फ संसद और विधानसभा  की इनसे सफाई होगी। अब इनको कौन समझायेगा कि झाड़ू आखिर झाड़ू होता हैं इनका काम होता सफाई  करना।  पिछले ८ तारिक से घर में झाड़ू नहीं लगाई। झाड़ू ढ़ुढ रही थी गलियारे में पर  मिली नहीं आज सिरहाने के नीचे देखि तो मिली। एक तो दिल्ली गद्दी पिछले २० दिन आश लगा कर बेठी हैं कि कब झाड़ू वाला आएगा जमी हुई धूल से निजात दिलाएगा पर रोज एलान होता हैं पर कब…… " औरत कहती हुई अरविन्द केजरीवाल के समीप पंहुच गयी।

"देखो मैडम, पत्ति  को छोड़ दीजिये अब झाड़ू को झाड़ू नहीं समझिये ये आम आदमी के सिम्बॉल हैं इसलिए इनका सम्मान कीजिये" केजरीवाल चुप हो ही पाता कि औरत चिल्लाकर बोली "तो क्या इनसे साफ करना छोड़ कर तिजोरी में रख दू या देवालय में।" जबसे जीते हो झाड़ू लेकर नाचने लगे हो अबतो रामलीला मैदान को केजरीलीला मैदान बना दिया, ए  भी बताओ   कि विधान सभा जाओगे या रामलीला मैदान में विधान सभा लगाओगे?'

अरे भाई शीला दीक्षित को जीतने के लिए जितना  सवाल का जवाब नहीं देना  पड़ा उतना इस मैडम को देना पड़ेगा, गाड़ी को थोडा तेज चलाओ, निकल लो यहाँ से।"

दरशल में दिल्ली की पारा  जितना  नीचे  गिर रहा हैं  उतना ही सियाशी पारा ऊपर चढ़ रहा हैं।  एक अरविन्द केजरीवाल जो हँ - ना के बीच से जरुर खुदको निकल पाये पर सरकार कब बनायेगे ये अभी भी शुनिश्चित नहीं हैं हालाँकि २८ दिसंबर का मुर्हत के मदेनज़र रामलीला मैदान में  तैयारियां  जोर-सोर की  जा रही हैं।

इन बीच दिल्ली की  राजनीति का दाव-पेंच उत्तर- प्रदेश में बनाये जा रहे हैं,  जी हँ ,  ग़ाजियाबाद  के कौशम्बी में।

एक तरफ दिल्ली में झाड़ू  डांस का शो चल  रहा हैं वही कांग्रेस पशोपेश में हैं कि आगे रणनीति क्या होगी।

जो भी हो समझोते की शादी का तलाक़ तो होना ही है उस परस्थिति में जँहा दोनों एक दूसरे की मटिया पलिट करने में थोड़ी भी हिचकते  नहीं हैं।  अरविन्द केजरीवाल की सरकार को लेकर सबसे ज्यादा हतोषाहित कोई हैं तो  BSES और DJB हैं आखिर एक तरफ बिजली की बिल में ५० प्रतिशत की कटौती करना BSES के लिए शायद मुमकिन नहीं हो वही दिल्ली जल बोर्ड को फ्री के पानी देना भी न सुहायेगा,  पर करे क्या ?

इसलिए तो इन समझोते के शादी के बदले तलाक़ पहले हो जाय इन-दोनों के तो ऐसे ही मनसूबे होंगे, अफशोस ये अधुरे ही रहेंगे।

बीजेपी ख्याली पुलाउ पका रही हैं कि जो भी जल्दी हो क्यूंकि इनदोनो कि  शादी हो या  तलाक़ पर इनसे  किसी का फायदा  अगर होता दिख रहा है तो वे बीजेपी पार्टी हैं  पर इतना भी ख्याली पुलाउ चट करने की जरूरत हैं नहीं बदहज़मी तो  पक्की होगी और इसके बारे में किसी से पूछना हैं तो आडबानी जी आपके ही पार्टी के हैं उनसे जाकर   पूछिए क्यूंकि उन्होंने कई बार ख्याली पुलाउ खाये  और इसका शिकार हुए हैं बदले में  बदहज़मी के शिवाय कुछ भी नहीं मिला और अब तो ख्याली पुलाउ खाने पर भी रोक लगा दिए गए हैं।

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