सोमवार, 9 दिसंबर 2013


 मोदी का तोर आज ढूढना आसान नहीं, नामुमकिन...................
अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली में जीत के  शेर्य मिलना ही चाहिए पर इतना बड़ा चमत्कार नहीं कर दिया जो कि उन्हें मोदी का विकल्प मान ले। दिल्ली एक ऐसी प्रदेश, जिसकी क्षेत्रफल इतनी हैं अधिकतर लोग प्रतिदिन  अपनी रोज-मर्रा के काम के लिए एक छोड़ से दूसरे छोड़ को नापते रहते हैं  यदि मतदाता कि बात करे  तो वे भी सिमित के साथ -साथ जागरूक भी हैं। मीडिया हो या सोशल मीडिया कुछेक सेकेंड में एक कोने  फुसफुसाहट को पूरी दिल्ली में फेला देती हैं।  इसलिए AAP पार्टी के वजाय यंहा के जनता को ज्यादा शेर्य मिलनी चाहिए क्यूंकि AAP पार्टी को यंहा के जनता का  समर्थन मिलने के वाबजूद मेजोरिटी के आस पास नहीं पहुँच पायी इसलिए तो आज दिल्ली कि गद्दी मध्यावधि चुनाव कि तरफ देख रही हैं। जंहा तक मोदी कि कद की बात करेंगे तो आज के सबसे लोकप्रिय नेता हैं क्यूंकि उनकी लोकप्रियता का दायरा किसी एक प्रदेश तक सिमित नहीं हैं ब्लिक देश हर एक कोने में हैं इसलिए राजस्थान हो या मध्य प्रदेश, जो क्षेत्रफल के  लिहाज से देशके  सबसे बड़ी राज्यो में सुमार हैं  वंहा अपनी पटका लहराना बाकई में उनकी लोकप्रियता का ही नतीजा हैं। जंहा तक पुरे देश परिवर्तन के तरफ आँख पसारे हैं इसी कारन इनको जिनसे  भी उम्मीद दिखता हैं उनके साथ हो लेते हैं।  अगर चमत्कार की बात करेंगे तो शायद जय प्रकाश और विश्व्नाथ प्रताप सिंह के नाम पहले आयेंगे क्यूंकि अपनी नेतृत्व और सोच के बदोलत इन दोनों के सोच का  ना कि पुरे देश कायल हुए ब्लिक इनकी पार्टी को देश का कमान भी सौंप  दिए। देश और पार्टी किसी एक आदमी से नहीं चलती इसके लिए पूरी टीम कि जरुरत होती हैं, जय प्रकाश हो या V.P. सिंह पर देश को  कोई भी एक स्थिर सरकार नहीं दे पाये। वेसे देश में कई बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी हैं पर  पुरे पांच साल चली हो  सिर्फ ये कारनामा अटल विहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुआ था।  इसलिए हमलोंगो को थोडा संयम और धीरज से काम लेना चाहिए क्यूंकि किसी का आगाज़ से ही उनका अंज़ाम का मूल्यांकन करना मुनासिब नहीं हैं।  AAP दिल्ली में अपनी दावेदारी खूव पेश की पर इसको बीजेपी और कांग्रेस के  विकल्प के रूप में कायम कब तक रखती हैं अभी यह कहना जल्दवाजी होगी अन्तः  टिप्प्णी हास्यपूर्ण ना हो इसलिए हमे चाहिए कि संभलकर करे और प्राथना करे कि  आप और फुले फले। 

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