सोमवार, 30 दिसंबर 2013



क्यूंकि मौका न मिला   …………………!!

मौका परस्त इस जहांन में सब रहतें हैं यहाँ मौक़ा के ताक में
मिले तो अरमानो को पंख लगते हैं, न मिले तो रह जाते खाक़ में
इतरा न अपनी इस फ़ज़ल पर , जाकर पूछों उनसे जिन्होंने हमे रोका
मेरी सोंच में भी जीत की बू आती थी पर नाइत्तिफ़ाक़ी जो कर गए मौका

कोशिश के बुनियाद पर सोच को बल देता पर मौका न मिला
अगर कोई  शिक़वा हैं खुदा से तो बस इक, कि मौका न मिला

मैं किनारा नहीं धारा  हूँ पर रवानगी का मौका न मिला
खुदको साबित करने की जिद्द थी  पर मौका न मिला
जज़बाती तो मैं भी हूँ बहुत ,बयाँ करने का मौका न मिला
अपनी ही आग में हर चाह को जलादी क्योंकि मौका न मिला


 चाँद से रुबरु होकर पूछता तेरे दामन ये दाग क्यूँ पर मौका न मिला
 नूर - ए - आफ़ताब  अपने आग़ोश में भर लेता  पर मौका न मिला
मुखोटे के पीछे का असलियत से मुखातिर कराता पर मोका न मिला
 बंद कमरे की साज़िश को सरे- ए  -आम करता पर मौका न मिला


गांधी की आंधी हो या अन्ना का मुहीम,
नसीब हुई कामयाबी मौका के ही अधीन
मोदी का मिशन -ए - हिंदुस्तान
केजरीवाल का झुझाड़ू  अभियान 
सपने सब अधूरे हैं अबतक क्यूंकि मौका न मिला
सपने सच होंगे चन्द दिनों में जबतक मौका न मिला


गरीबी किसीकी  फिदरत में नहीं पर मजलूम हैं वह शायद  कि मौका न मिला
उनकी मायूसी बयां करती हैं गरीबी - नुमाइश का रहनुमाई मोका न मिला
मैं आम हूँ, अज़ीम के उम्मीद में जी रहा हूँ भलें मौका न मिला 
मिटटी के इंसा खुदको खुदा मान लेता खैर ओ मौका न मिला 

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